🚀 Register Now

PhD प्रवेश पर लगी रोक: UGC ने लिया एक्शन, BHU के VC-रजिस्ट्रार को दिल्ली बुलाया; जांच के लिए टीम गठित



PhD प्रवेश पर लगी रोक: UGC ने लिया एक्शन, BHU के VC-रजिस्ट्रार को दिल्ली बुलाया; जांच के लिए टीम गठित

बीएचयू में पीएचडी प्रवेश पर यूजीसी की रोक: जांच समिति गठित, कार्यवाहक कुलपति और रजिस्ट्रार दिल्ली तलब

वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में सत्र 2024-25 के लिए पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पर यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। यह निर्णय पीएचडी प्रवेश में सामने आई कई विषमताओं और शिकायतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। आयोग ने जांच के लिए एक समिति भी गठित कर दी है, जो नियमन के अनुरूप प्रक्रिया की समीक्षा करेगी।

यूजीसी सचिव का पत्र: नियमों के उल्लंघन का आरोप

यूजीसी सचिव मनीष आर. जोशी ने सोमवार को एक पत्र जारी कर बीएचयू प्रशासन को निर्देशित किया कि पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को पहले ही सूचित किया जा चुका है कि पीएचडी डिग्री प्रदान करने की प्रक्रिया UGC (Minimum Standards and Procedure for Award of Ph.D.) Regulations, 2022 के तहत ही संचालित होनी चाहिए।

जांच पूरी होने तक प्रवेश प्रक्रिया पर रोक

यूजीसी के निर्देश के अनुसार जब तक समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर देती और जांच अधिकारी अंतिम निर्णय नहीं लेते, तब तक बीएचयू में पीएचडी प्रवेश की किसी भी प्रकार की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। यह निर्णय छात्रों और संस्थान के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है।

कार्यवाहक कुलपति और रजिस्ट्रार दिल्ली तलब

सूत्रों के अनुसार, यूजीसी ने बीएचयू के कार्यवाहक कुलपति और रजिस्ट्रार को दिल्ली बुलाया है, जहां उनसे इस पूरे मामले पर विस्तृत बातचीत की जाएगी। यह भी संभावना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन से उनके दृष्टिकोण और अब तक हुई प्रवेश प्रक्रिया की जानकारी मांगी जाएगी।

छात्रों में असमंजस की स्थिति

इस निर्णय के बाद पीएचडी प्रवेश की तैयारी कर रहे छात्रों में असमंजस और चिंता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई छात्रों ने सोशल मीडिया और अन्य मंचों के माध्यम से अपनी आशंकाएं जताई हैं और जल्द समाधान की मांग की है।

भविष्य की प्रक्रिया पर नजर

फिलहाल बीएचयू को निर्देशित किया गया है कि वह किसी भी तरह की प्रवेश सूचना या कार्यवाही से दूर रहे। जांच समिति की रिपोर्ट के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि प्रवेश प्रक्रिया दोबारा कब और कैसे शुरू होगी। विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों की नजरें अब यूजीसी की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

निष्कर्ष:

बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में प्रवेश प्रक्रिया को लेकर उठे सवाल उच्च शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिह्न खड़े करते हैं। यूजीसी की यह सख्ती न केवल बीएचयू बल्कि देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए एक चेतावनी है कि नियमानुसार प्रक्रिया को ही अपनाना अनिवार्य है।

Post a Comment

Previous Post Next Post